Saturday, March 21, 2009

tere khushaboo mein base khat by Jagjit Singh

तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे?
प्यार में डूबे हुये ख़त मैं जलाता कैसे?
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे?

जिन को दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा,
जिन को इक ऊम्र कलेजे से लगाए रखा,
दिन जिन को जिन्हें इमान बनाए रखा ...

जिन का हर लब्ज मुझे याद पानी की तरह,
याद थे मुझ को जो पैगाम-ए-जुबानी की तरह,
मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह ...

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे,
साल-हा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे ...

तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे ...
प्यार में डूबे हुये ख़त मैं जलाता कैसे ...
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे ...
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ,
आग बहते हुये पानी में लगा आया हूँ।।

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शायर :
स्वर : जगजीत सिंह

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ग़ज़ल, नज्म, Revival With Jagjit Singh, 1993

Wednesday, March 18, 2009

kuchh na kuchh to jaroor honaa hai - by jagjit singh

कुछ ना कुछ तो जरूर होना है,
सामना आज उनसे होना है

तोडो फेंको रखो, करो कुछ भी,
दिल हमारा है क्या खिलौना है?

जिंदगी और मौत का मतलब,
तुमको पाना है तुमको खोना है

इतना डरना भी क्या है दुनिया से,
जो भी होना है, वो तो होना है

उठ के महफ़िल से मत चले जाना,
तुमसे रोशन ये कोना कोना है

शायर:
स्वर: जगजीत सिंह

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Jagjit Singh

charag-o-aftab gum badi haseen raat thi - gazal by Jagjit Singh

चराग--आफताब गूम, बड़ी हसीन रात थी,
शबाब की नकाब गूम, बड़ी हसीन रात थी

मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गयी,
गिलास गूम शराब गूम, बड़ी हसीन रात थी

लिखा था जिस किताब में कि इश्क तो हराम है,
हुई वही किताब गूम, बड़ी हसीन रात थी

लबों से लब जो मिल गए, लबों से लब ही सिल गए,
सवाल गूम जवाब गूम, बड़ी हसीन रात थी

चराग--आफताब गूम बड़ी हसीन रात थी,
शबाब की नकाब गूम बड़ी हसीन रात थी

शायर: सुदर्शन फ़ाकिर
स्वर: जगजीत सिंह

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Jagjit Singh, Gulzar

Monday, March 02, 2009

mud mud ke na dekh - Shree 420

I like this song for its magnificent set, for its orchestration, its picturization and choreography. I like this song for initial glimpse of beautiful Nargis, beautiful and elegant Nadira and the handsome Raj Kapoor. I like this song for its change in rhythm and change in the mood halfway through the song. I like this song for the way it is written and also for its meaningfulness. I like this song for its place in the film. The film would be incomplete if this song was not there.

मुड़ मुड़ के ना देख मुड़ मुड़ के
जिंदगानी के सफर में
तू अकेला ही नहीं है
हम भी तेरे हमसफ़र हैं

आए गए मंजिलों के निशाँ
लहरा के झूमा झूका आसमाँ
लेकिन रुकेगा न ये कारवां

नैनो से नैना जो मिला के देखे
मौसम के साथ मुस्कूरा के देखे
दुनिया उसी की है जो आगे देखे

दुनिया के साथ जो बदलता जाए
जो इसके सांचे में जो ढलता जाए
दुनिया उसी की है जो चलता जाए

मुड़ मुड़ के ना देख मुड़ मुड़ के...

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गीत : शैलेन्द्र
संगीत : शंकर - जयकिशन
स्वर : आशा भोसले, मन्ना डे
चित्रपट : श्री ४२० (१९५५)

BHONSLE, MANNA DE, RAJ KAPOOR , NARGIS , NADIRA , LALITA PAWAR , IFTEKHAR

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