खेल खेल में था एक राजा और एक उस की रानी,
अधूरा रह गया खेल रह गयी अधूरी एक कहानी
राजा कहता 'मैं तो हूँ तेरे प्रेम का प्यासा भूखा
जुड़ी हुयी है मेरे भाग्य से तेरे हाथ की रेखा'
यह सुन के क्यों आया रानी के नयनो में पानी?
रानी सोचके कहती देखते दूर दूर का तारा
'नहीं है मैंने सोचा हो कल दूजे नगर का फेरा'
किंतु राजा देर से समझा गूढ़ अटल यह बानी!
राजा पूछे उससे 'क्यों दो जीव मिलते हैं?
खिलने से पहले ही क्यों कुछ फूल बिखर जातें हैं?'
इन प्रश्नों का कोई उत्तर दे नहीं पायी रानी
क्या रानी ने छलके आंसू जाते नगर से कुछ दूर?
क्या राजा सह पाया सदमा देखके सपने चूर?
समय के साथ हवा में फहली एक उदास विरानी
खेल खेल में था इक राजा और एक उस की रानी,
अधूरा रह गया खेल रह गयी अधूरी एक कहानी
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राग : वृंदावनी सारंग (नादवेध)
मूल मराठी कविता के संगीत के आधार पर गायी जा सकती है |
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bhatukalichya khela madhali English translation interpretation
मंगेश पाडगांवकर