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Saturday, May 23, 2009

ChoTese jeevan - Madhushala

'Chotese jeevan' from madhuṣālā by Harivansh Rai Bachchan

सुमुखी तुम्हारा सुंदर मुख ही मुझको कंचन का प्याला
छलक रही है जिसमें माणिक रूप मधुर मादक हाला,
मैं ही साकी बनता मैं ही पीने वाला बनता हूँ
जहाँ कहीं मिल बैठे हम तुम वहीं गयी हो मधुशाला |
***
छोटेसे जीवन में कितना प्यार करूँ, पी लूँ हाला,
आने के ही साथ जगत में कहलाया 'जानेवाला',
स्वागत के ही साथ विदा की होती देखी तैयारी,
बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवनमधुशाला |
***
कवी हरिवंशराय बच्चन (मधुशाला)


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