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Friday, August 22, 2008

kabhi khamosh baithoge - Jagjit Singh


कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे

कोई पूछ बैठेगा खामोशी का सबब तुम से
बहोत समाझाना चाहोगे मगर समझा ना पाओगे

कभी दुनिया मुकम्मल बन के आयेगी निगाहो में
कभी मेरी कमी दुनिया की हर इक शय में पाओगे

कही पर भी रहे हम तो मोहब्बत फिर मोहब्बत है
तुम्हे हम याद आएंगे हमे तुम याद आओगे

स्वर : जगजीत सिंह
"Love is Blind"

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